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कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल: कला, सामाजिक एकता और यूनेस्को की प्रशंसा

कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल: कला, सामाजिक एकता और यूनेस्को की प्रशंसा

24 सित॰ 2025 द्वारा रामेश्वर बालकृष्णा

कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल सिर्फ पूजा स्थल नहीं, बल्कि विश्व‑स्तरीय सार्वजनिक कला समारोह हैं। 1583 से शुरू हुई निजी पूजा से आज की सार्वजनिक पंडाल तक का सफर इतिहास में अनोखा है। कलाकारों की मेहनत, थीम‑आधारित डिजाइन और समुदाय की भागीदारी इसे यूनेस्को की अस्थायी सांस्कृतिक विरासत में शामिल करता है। पंडाल‑हॉपिंग से सामाजिक बाधाएं गिरती हैं, और साझा भोग में एकता का जश्न मनाया जाता है।