कोलकाता दुर्गा पूजा 2025 की पूरी गाइड

कोलकाता में दुर्गा पूजा का इंतजार हर साल बड़ी धूमधाम से होता है। अगर आप पहली बार या फिर से प्लान बना रहे हैं, तो ये लेख आपके लिए टिक-टोक टिप्स, तिथियां और पंडाल जानकारी लेकर आया है। तैयार हो जाइए, क्योंकि महालक्ष्मी के स्वागत में हर कोने में खुशी की लहरें दौड़ती हैं।

मुख्य तिथियां और शुभ समय

2025 में दुर्गा पूजा के पाँच मुख्य दिन होते हैं: शरद स्रोतासु (सोमवार), মহা শ্রীপৌর্ণিমা (शुक्रवार), বৈশাখী (शनिवार), সন্ধ্যা (रविवार) और বিজয়া দিভস (सोमवार)। सबसे महत्वपूर्ण है বৈশাখী, जब बड़े पंडाल खुले होते हैं और बड़ी भीड़ जमा होती है।

अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं, तो শুক্র (शुक्रवार) या রবিবার (रविवार) के दिन सुबह जल्दी पहुंचना बेहतर रहेगा। कई पंडाल सुबह 7 बजे ही खुलते हैं, इसलिए फास्ट ट्रांसपोर्ट या साइकिल रेंटल पर विचार कर सकते हैं।

सबसे मशहूर पंडाल और क्या देखें

कोलकाता के पंडाल 10,000 से 30,000 तक के होते हैं, लेकिन कुछ खास पंडाल हर साल चर्चा का विषय बनते हैं। विक्टोरिया मेमोरियल स्टेडियम में लगने वाला पंडाल अपनी बड़े आकार और आधुनिक लाइटिंग के लिए जाना जाता है। बैनसली टाइगर जॉन्स के आसपास का पंडाल अक्सर पारंपरिक बंगाली कला के साथ प्रयोग दिखाता है।

अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो लिंक रोड पर स्थित पंडाल आज़माएँ। यहाँ के बैनर, सजावट और माँ दुर्गा की मूर्ति हर साल एक नई थीम पर बनती है, जिससे फोटो में अनोखा टच मिलता है।

पंडाल के अलावा, पंडाल दोरगाह में खरीदारी भी बढ़िया होती है। यहाँ स्थानीय हस्तशिल्प, मिठाई और रंगीन पुट्ठी मिलते हैं। सलाद में গোজো और মিষ্টি দই का मज़ा ज़रूर लीजिए।

अब बात करते हैं पूजा सामग्री की। अगर आप घर पर पूजा कर रहे हैं, तो कुछ बेसिक चीजें जरूर रखें: कुम्हड़, धूप, नारियल, लाल पान, किताब (व्यूह रचना) और आरती की थाली। अधिकांश दुकानों में ये चीजें घण्टे भर में उपलब्ध होती हैं, लेकिन अगर आप जल्दी करना चाहते हैं तो ऑनलाइन ग्रॉसरी मॉल से ऑर्डर कर सकते हैं।

सुरक्षा के लिहाज़ से, भीड़भाड़ वाले पंडाल में अपने जितने भी बैग या पर्स हो, उन्हें बंद रखें। पुलिस की चेकपॉइंट पर ज़रूरत पड़ने पर आपसे पहचान पत्र माँगा जा सकता है, इसलिए एक फोटो आयडेंटिटी साथ रखिए।

भोजन प्रेमियों के लिए कोलकाता का পথের মিছরি और রসগোলে का स्वाद बिल्कुल नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। पंडाल के आसपास छोटे-छोटे स्टॉल में ये मिठाइयाँ मिलती हैं, और दही-आलू, कोल्काता फिश फ्राई जैसे स्नैक्स भी उपलब्ध होते हैं।

आख़िर में, अगर आप पर्यटक हैं, तो सुब्राह्मणिया राठो या हावड़ा रिड्ज़ जैसे जयपुरह में बायोमैप के अनुसार नामी जगहों पर ठहरना फायदेमंद रहेगा। ये जगहें सस्ती कीमत में आरामदायक रूम और आसान ट्रांसपोर्ट दोनों देती हैं।

तो तैयार हो जाइए, इस दुर्गा पूजा में कोलकाता की रौनक में खो जाने के लिए। चाहे पंडाल देखें, मिठाइयाँ खाने या पूजा करें, सब कुछ आपके हाथ में है। शुभ महालक्ष्मी की आरती के साथ, आपके त्योहार का हर पल आनंदमय हो!

कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल: कला, सामाजिक एकता और यूनेस्को की प्रशंसा

कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल: कला, सामाजिक एकता और यूनेस्को की प्रशंसा

24 सित॰ 2025 द्वारा रामेश्वर बालकृष्णा

कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल सिर्फ पूजा स्थल नहीं, बल्कि विश्व‑स्तरीय सार्वजनिक कला समारोह हैं। 1583 से शुरू हुई निजी पूजा से आज की सार्वजनिक पंडाल तक का सफर इतिहास में अनोखा है। कलाकारों की मेहनत, थीम‑आधारित डिजाइन और समुदाय की भागीदारी इसे यूनेस्को की अस्थायी सांस्कृतिक विरासत में शामिल करता है। पंडाल‑हॉपिंग से सामाजिक बाधाएं गिरती हैं, और साझा भोग में एकता का जश्न मनाया जाता है।