फिरोजाबाद सेक्स रैकेट चलाने वाले दो युवकों को Eka पुलिस ने शनिवार रात नागला धीरू नहर ट्रैक के पास दबोचा। पुलिस के मुताबिक गुलशन (पिता विजयपाल सिंह) और रोहित कुमार (पिता रामनिवास सिंह), दोनों निवासी सिन्हपुर उदईसर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और कुछ सेक्स वेबसाइटों के जरिए ग्राहकों से संपर्क कर रहे थे। तरीका सीधा था—पहले तस्वीरें भेजना, फिर एडवांस ऑनलाइन मंगवाना और इसके बाद कार से तय लोकेशन पर लड़कियों को पहुंचाना।
टीम ने मौके से एक स्विफ्ट कार, करीब आधा दर्जन मोबाइल फोन और कई डेबिट-क्रेडिट कार्ड बरामद किए हैं। शुरुआती पूछताछ में सामने आया कि दोनों पहले से एक बड़े गैंग से जुड़े थे और लखनऊ व दिल्ली जैसे बड़े शहरों में सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। पुलिस को इनके खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं।
तीन दिन पहले पुलिस ने उस छात्र को पकड़ा था जिसके घर में ये दोनों ठहरे हुए थे, लेकिन छापा पड़ते ही आरोपी खिसक लिए थे। शनिवार शाम गुलशन कथित तौर पर दिल्ली से कार लेकर लौटा और मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने नहर ट्रैक के पास घेराबंदी कर दोनों को हिरासत में ले लिया। थाना प्रभारी अनिल कुमार के नेतृत्व में हुई चेकिंग में यह कार्रवाई हुई।
कार्रवाई कैसे हुई
पुलिस का कहना है कि कई दिनों से आरोपियों की मूवमेंट पर निगरानी थी। जैसे ही कार की लोकेशन नागला धीरू क्षेत्र में दिखी, टीम ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक लिया। मौके पर मिले मोबाइल फोनों में ग्राहकों से हुई चैट, कॉल लॉग और कुछ ट्रांजैक्शन अलर्ट भी पाए गए, जिन्हें फोरेंसिक जांच के लिए सुरक्षित किया गया है। दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है; धाराओं का विस्तार पुलिस बाद में साझा करेगी।
बरामदगी में प्रमुख चीजें शामिल हैं:
- एक स्विफ्ट कार, जिसे पिक-अप और ड्रॉप के लिए इस्तेमाल किया जाता था
- करीब छह मोबाइल फोन, जिनसे अलग-अलग नंबरों और ऐप्स पर बातचीत होती थी
- कई डेबिट और क्रेडिट कार्ड, जिन पर एडवांस का पैसा आता-जाता था
शिकायतों के मुताबिक तस्वीरें दिखाकर ग्राहक से ‘कन्फर्मेशन’ लिया जाता, फिर UPI/कार्ड के जरिए एडवांस जमा कराते थे। उसके बाद कार से लड़की को तय लोकेशन तक पहुंचाया जाता। पुलिस यह भी जांच रही है कि क्या फर्जी सिम, ई-वॉलेट या किराए के अकाउंट इस नेटवर्क में इस्तेमाल हुए।
इस पूरे ऑपरेशन में एक अहम कड़ी वह छात्र रहा, जिसके ठिकाने पर आरोपी पहले रुके थे। पुलिस ने उसे शांति भंग के आरोप में पाबंद किया है, जबकि घर किराए पर देने वालों और मकान मालिकों को कागजी औपचारिकताएं पूरा करने की नई हिदायतें देने की तैयारी है, ताकि ऐसे नेटवर्कों को लोकल सपोर्ट न मिले।
डिजिटल धंधे का फॉर्मूला और जांच की दिशा
ऑनलाइन देह व्यापार का बड़ा हिस्सा अब ओपन वेब, सोशल मीडिया और चैटिंग ऐप्स पर शिफ्ट हो चुका है। प्रोफाइल बनती हैं, तस्वीरें और ‘पैकेज’ भेजे जाते हैं, और ग्राहक को जल्दी डिसीजन लेने के लिए ‘टाइम-लिमिटेड ऑफर’ जैसे दबाव बनाए जाते हैं। पेमेंट डिजिटल होता है ताकि कैश के जोखिम से बचा जा सके। कई बार अलग-अलग नंबरों और हैंडल से बातचीत कर पहचान छिपाने की कोशिश होती है।
पुलिस की जांच आम तौर पर तीन लाइनों पर आगे बढ़ती है—डिवाइस फॉरेंसिक, मनी ट्रेल और नेटवर्क मैपिंग। यह पता लगाया जाता है कि कॉल किस सिम से हुई, सिम किस KYC पर है, फोन का IMEI किन-किन लोकेशन पर दिखा, और पेमेंट किन खातों और वॉलेट्स में गया। बैंक स्टेटमेंट, यूपीआई हैंडल और कार्ड स्वाइप से जुड़े डेटा से ‘कलेक्टर’, ‘रनर’ और ‘हैंडलर’ जैसे रोल्स सामने आते हैं।
फिरोजाबाद केस में भी यही तीन ट्रैक अहम रहेंगे। बरामद फोनों की फोरेंसिक जांच से चैट बैकअप, क्लाउड सिंक और लोकेशन हिस्ट्री हासिल हो सकती है। मनी ट्रेल से यह पता चलेगा कि एडवांस किस-किस अकाउंट में पार्क हुआ और वहां से किसने निकाला। अगर नकली KYC या म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल हुआ, तो पहचान तक पहुंचने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
एक दूसरी चिंता पीड़ितों की उम्र और सुरक्षा है। पुलिस को हर लड़की/महिला की उम्र का वैरिफिकेशन करना होगा और जरूरत पड़े तो काउंसलिंग, शेल्टर होम, मेडिकल चेकअप और लीगल एड जैसी सुविधाएं देनी होंगी। ऐसे मामलों में अनैतिक देह व्यापार (निवारण) अधिनियम के साथ आईटी कानून और आईपीसी की धाराएं भी लगती हैं; केस-टू-केस आधार पर पुलिस इन्हें जोड़ती है।
लखनऊ और दिल्ली कनेक्शन पर भी फोकस है। अगर नेटवर्क वहां तक ऑपरेट कर रहा था, तो इंटेलिजेंस इनपुट साझा करके संयुक्त टीम बननी तय है। शहर-वार सप्लाई चेन अलग-अलग ‘कॉन्टैक्ट प्वाइंट्स’ के जरिए चलती है, जिनमें ट्रैवल, लोकेशन फिक्सिंग और पेमेंट कलेक्शन संभालने वाले अलग लोग होते हैं। फोनों की CDR और लोकेशन टैग से इन कड़ियों तक पहुंचना मुमकिन है।
स्थानीय स्तर पर पुलिस मकान मालिकों, हॉस्टल और पीजी ऑपरेटरों को किरायानामा, पुलिस वेरिफिकेशन और डिजिटल रजिस्टर अपडेट रखने को कह रही है। जिन इलाकों में शिकायतें आई थीं, वहां रैंडम चेकिंग और नाइट पेट्रोलिंग बढ़ाई जा सकती है।
आम नागरिक क्या करें? कुछ सरल कदम मददगार रहते हैं:
- सोशल मीडिया/मैसेजिंग ऐप पर ऐसी प्रोफाइल देखें जो बार-बार अलग नंबर/आईडी से संपर्क करें—रिपोर्ट करें, फॉरवर्ड न करें।
- किरायेदार रखते समय पहचान पत्र का सत्यापन और पुलिस वेरिफिकेशन कराएं।
- संदेहास्पद गतिविधि दिखे तो 112 पर कॉल करें; साइबर पेमेंट फ्रॉड लगे तो 1930 पर तुरंत रिपोर्ट करें।
- किसी भी तरह की ऑनलाइन ‘एडल्ट सर्विस’ डीलिंग में शामिल होना कानूनन जोखिम भरा है—दूर रहें।
फिरोजाबाद पुलिस ने कहा है कि केस में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा रही है। बरामद डिजिटल डिवाइसेज़ से मिले डेटा के आधार पर और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। जब्त कार और कार्ड्स का इस्तेमाल किन तारीखों में और किन रूट्स पर हुआ, इसका भी क्रॉस-चेक चल रहा है।
फिलहाल दोनों आरोपी हिरासत में हैं और पूछताछ जारी है। पुलिस टीम ने यह भी साफ किया कि पीड़ितों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी और किसी तरह की संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, शहरों के बीच फैले इस नेटवर्क के और धागे खुलने की उम्मीद है।
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