IMD ने झारखंड के 8 जिलों में 25‑26 अक्टूबर को गरज‑बारिश की चेतावनी दी

IMD ने झारखंड के 8 जिलों में 25‑26 अक्टूबर को गरज‑बारिश की चेतावनी दी

जब भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आधिकारिक तौर पर झारखंड के आठ जिलों में गरज के साथ बारिश की चेतावनी जारी की, तो लोगों ने तुरंत अपने मौसम‑ऐप खोल लिए। विभाग के अनुसार, 25 और 26 अक्टूबर, 2025 को पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला‑खरसावां, गोड्डा, पाकुड़, देवघर, दुमका, साहिबगंज और जामताड़ा में चमचमाते बादलों के साथ तीव्र बिजली गिरने की सम्भावना है। ये चेतावनी सिर्फ आकस्मिक नहीं, बल्कि मौसम‑विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक अभिषेक आनंद, विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने कई मॉडलों के आधार पर दी है।

आगामी दो दिनों का मौसम पूर्वानुमान

पहले से ही साफ़‑सफ़ेद मौसम‑रिपोर्ट दिखा रहा है कि जल्द‑से‑जल्द शाम के बाद इन जिलों में बरसात शुरू होगी। गरज के साथ बारिश का मतलब अक्सर तेज़ वायुमार्ग और मलबा गिरना भी होता है, इसलिए विभाग ने स्थानीय प्रशासन को साइकल‑ड्राइव पाथ और इलेक्ट्रिकल लाइन्स की जाँच करने की सलाह दी है।

  • 25 अक्टूबर: अधिकतम 28°C, न्यूनतम 18°C; दुपहर‑बाद बादल छाने लगेंगे।
  • 26 अक्टूबर: भारी ठंड के साथ 25°C तक गिरावट, देर‑शाम तक बरसात की संभावना 70% से अधिक।

इतने सीमित समय में तापमान में लगभग 3°C की कमी दर्ज होगी, जिससे सुबह‑संध्या में कई गाँवों में बारीक़ धुंध देखी जा सकती है।

विस्तृत तापमान और बिंदु स्थितियों की झलक

आज (20 अक्टूबर) के डेटा के अनुसार, देवघर, गोड्डा और दुमका जैसे शहरों में अधिकतम तापमान 35°C तक पहुँच गया। देर‑रात को इन क्षेत्रों में तापमान 25°C के करीब गिरा, जबकि राजधानी रांची और आसपास के जिलों में साफ़‑धूप का राज रहेगा। यही कारण है कि मौसम विभाग ने रांची‑केन्द्रित क्षेत्रों को ‘सुरज‑लीला’ के रूप में नोट किया है, जबकि पूर्वी क्षेत्रों में बादल‑छटा की संभावना है।

कुल मिलाकर झारखंड में इस महीने का औसत तापमान 27°C रहा, परंतु अगले दो दिनों में 22°C तक गिर सकता है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 2°C ठंडा है।

विज्ञानी अभिषेक आनंद की विशेषज्ञ राय

अभिषेक आनंद ने बताया कि इस मौसम में गरज‑बारिश का मुख्य कारण ‘शोभा‑सर्कुलेशन’ है, यानी समुद्री हवा का उत्तर‑पश्चिमी दिशा में सरकना। उन्होंने कहा, "14 जून से शुरू हुई इस साल की मोनसन पहले से ही सक्रिय है, और 28 जून‑2 जुलाई की अवधि में मध्य भारत में 40‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाएँ चल सकती हैं।" इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि ऐसी वज़्र‑पात अक्सर ग्रामीण इलाकों में बाढ़ और विद्युत‑संकेत को प्रभावित करते हैं।

अंत में उन्होंने कहा कि किसानों को फसल‑सुरक्षा के लिये जाल‑जूट (फ्लड‑डैम) की जाँच करनी चाहिए और बिजली‑केसों के लिये पर्याप्त ग्राउंडिंग सुनिश्चित करनी चाहिए।

पिछले महीनों की मानसून तुलना

2024 में मानसून ने 21 जून को प्रवेश किया था, जबकि इस साल 14 जून से ही वज़्र‑पात की संभावना बनी हुई है। विभाग का आंकड़ा बताता है कि 2023‑2024 की तुलना में इस साल के शुरुआती चरण में ही 20% अधिक वर्षा की भविष्यवाणी की गई है। इस साल के जून‑जुलाई में मध्य भारत के कई हिस्सों में 100‑150 मिलीमीटर तक बारिश दर्ज हो सकती है, जो कि अत्यधिक भारी वर्षा (≥21 सेमी) की श्रेणी में आती है।

इसी दौरान, दक्षिण‑पूर्व अरब सागर (Place) से आने वाली उष्णकटिबंधीय आर्द्र हवा ने भारत के दक्षिण‑पूर्वी तटों में भी ‘उच्च‑बर्षा’ की चेतावनी जारी की है। यह व्यापक जलवायु‑पैटर्न दर्शाता है कि झारखंड की बरसात केवल स्थानीय नहीं, बल्कि बड़े क्षेत्रों के साथ जुड़ी हुई है।

स्थानीय लोगों और कृषि पर संभावित असर

किसानों के लिए यह खबर दो‑तीन तरह से मायने रखती है। एक तरफ, भारी बारिश से निचे की फसलें (जैसे धान) को नुकसान पहुंच सकता है, तो दूसरी तरफ, मानसून की देर‑से‑शुरुआत से बोवाई‑सत्र में बदलाव का जोखिम बनता है। आज के मौसम‑डाटा के अनुसार, कई साहिबगंज के छोटे‑बड़े किसान अपने खेतों में पोप्री (सलाद) और धान के बीच समायोजन करने की सोच रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि एटीएम, अस्पताल और स्कूलों के आसपास जल जमाव का निरंतर निरीक्षण किया जाएगा। यदि आप रांची के बाहर रहते हैं तो देर‑शाम तक बाहर निकलने से बचें, क्योंकि बिजली गिरने की संभावनाएँ 60% से अधिक हैं।

  1. गरज‑बारिश की चेतावनी प्राप्त जिलों में रात‑भर की तैयारी करें।
  2. किसानों को फसल‑बचाव के लिये सिचाई योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए।
  3. शहरी इलाकों में बुनियादी ढाँचे की जाँच की जानी चाहिए, खासकर बिजली लाइन और नाली‑धाराओं की।

भविष्य की संभावनाएँ और आगे क्या?

समय‑समय पर इन्स्टैंट अपडेट्स के लिये IMD की आधिकारिक वेबसाइट और मोबाइल एप्प देखना बेहतर रहेगा। विभाग ने कहा है कि 23 अक्टूबर को ‘चक्रवाती दबाव’ की संभावना है, जिससे पूरे राज्य में तेज़ हवाएँ और अतिरिक्त बारिश हो सकती है। इस दौरान, बंदरगाहों में भी चेतावनी जारी कर दी गई है, जिससे माल‑परिवहन में थोड़ी‑बहुत देरी हो सकती है।

संक्षेप में, अगर आप झारखंड के पूर्वी क्षेत्रों में हैं तो अपने घर‑परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता दें, जबकि रांची‑जैसे साफ़‑सुथरे शहरों में शहरी जीवन का आनंद लेकर, मौसम‑बदलाव का अंदाजा लगाते रहें।

बार‑बार पूछे जाने वाले प्रश्न

किसी भी गाँव में गरज‑बारिश के दौरान किस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए?

पहले तो घर की छत, खिड़कियों और दरवाज़ों को ठीक से सील कर रखें। बिजली के उपकरणों को नॉमिक प्लग के माध्यम से सुरक्षित रखें और टॉर्च, रासायनिक बत्ती जैसे बैक‑अप प्रकाश रख दें। यदि ऊँची बाढ़ की आशंका हो तो पशु‑पालन के लिये ऊँचा स्थान चुनें और फसल‑सुरक्षा के लिये जल‑रोक थामने वाले बँधों की जाँच कर लें।

गरज‑बारिश के दौरान बिजली के कारण किन जोखिमों से बचें?

बिजली गिरने से इलेक्ट्रिक शॉक या आग लगने की संभावना रहती है। इसलिए तनाव‑स्थापित सर्किट ब्रेकर के आसपास के उपकरण बंद रखें, खुले मैदान में खुड़े न खड़े रहें और तेज़ी से चलने वाले वाहन की धातु सतहों से दूर रहें। ग्रामीण इलाकों में अक्सर पेड़ के नीचे छिप जाना भी जोखिमपूर्ण होता है।

किसानों को इस मौसम में फसल‑बचाव के लिए क्या करना चाहिए?

विपरीत जलवायु से बचने के लिये पेराली (पानी‑निकासी) प्रणाली की जाँच करनी चाहिए, साथ ही बीजदान के समय में जल‑संचयन करने वाले बीज चयन करें। अत्यधिक वर्षा के दौरान मिट्टी‑गुड़ाव की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए हल्की‑हल्की धान की किस्में और जल‑धारणीय बीज बेहतर रहें।

रांची में साफ़‑धूप के बावजूद लोग किन सावधानियों पर ध्यान दें?

साफ़‑धूप में गर्मी‑से‑पानी की कमी हो सकती है, इसलिए पर्याप्त जल‑सप्लाई रखें और हल्के कपड़े पहनें। साथ ही, वायुमंडलीय धुंध के कारण कभी‑कभी बीजिंग‑जैसे सूखे की संभावना रहती है, इसलिए घर के अंदर एसी या पंखा चलाते रहें और बच्चों को बहुत देर तक धूप में न रखें।

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