8वें वेतन आयोग की घोषणा: DA और HRA बंद नहीं होंगे, वित्त मंत्रालय ने फेक खबरों को खंडन किया

8वें वेतन आयोग की घोषणा: DA और HRA बंद नहीं होंगे, वित्त मंत्रालय ने फेक खबरों को खंडन किया

जब वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर फैल रही खबरों को खंडन किया कि 8वां केंद्रीय वेतन आयोग लागू होने के बाद देनेयाद भत्ता (DA) और आवास भत्ता (HRA) बंद हो जाएंगे, तो पूरे देश के 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनधारियों की सांसें रुक गईं। ये खबरें इतनी जोर से फैलीं कि कई लोगों ने अपनी बचत रोक दी, और कुछ ने तो नौकरी छोड़ने का विचार भी कर लिया। लेकिन आज एक बार फिर वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया — DA और HRA बंद नहीं होंगे। वास्तव में, ये भत्ते तब तक बढ़ते रहेंगे जब तक 8वां वेतन आयोग लागू नहीं हो जाता।

8वां वेतन आयोग क्या है और कौन चला रहा है?

8वां केंद्रीय वेतन आयोग की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 नवंबर 2025 को की। इसकी जिम्मेदारी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देशाई को सौंपी गई हैं, जो 2025 के जनवरी से ही काम शुरू कर चुकी हैं। इस आयोग को 18 महीने का समय दिया गया है, जिसके अंत में वे नए वेतन संरचना, भत्तों और फिटमेंट फैक्टर की सिफारिशें देंगे। इसका लक्ष्य स्पष्ट है — 7वें वेतन आयोग के बाद 10 साल बीत चुके हैं, और सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन में तारीखी अंतर बढ़ता जा रहा है।

DA की वर्तमान स्थिति और अगले 18 महीनों की योजना

अभी DA 58% है — ये आंकड़ा 1 जुलाई 2025 से लागू है। लेकिन ये अंतिम नहीं है। आयोग के काम शुरू होने के बाद भी, DA हर छह महीने में बढ़ता रहेगा, जैसा कि 7वें वेतन आयोग के नियमों के तहत चला आ रहा है। अगले 18 महीनों में तीन बार बढ़ोतरी होगी: 6 महीने बाद DA 61%, 12 महीने बाद 64%, और 18 महीने बाद 67% तक पहुंच जाएगा। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अगर हर बार 4% की बढ़ोतरी होती है, तो DA 70% तक पहुंच सकता है। ये नंबर केवल आंकड़े नहीं हैं — ये लाखों परिवारों की रोजगार की बात हैं।

उदाहरण के लिए, अगर किसी का न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है, तो 58% DA के साथ उसकी कुल आय 28,440 रुपये हो जाती है। अगर DA 67% हो जाता है, तो ये नंबर 30,060 रुपये हो जाता है — यानी एक वर्ष में सिर्फ DA के कारण 1,620 रुपये की बढ़ोतरी। ये पैसा किसी शहरी कर्मचारी के बच्चों की स्कूल फीस, बिजली बिल या दवाओं के लिए जा सकता है।

DA को बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा — लेकिन बंद नहीं

यहां एक बड़ा भ्रम है। कुछ समाचारों ने लिखा कि 8वें वेतन आयोग के बाद DA को ‘शून्य’ कर दिया जाएगा। ये गलत है। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि DA को बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा — यानी ये भत्ता अब अलग नहीं रहेगा, बल्कि उसकी राशि बेसिक में जुड़ जाएगी। ये एक तकनीकी बदलाव है, न कि कटौती। इसका मतलब यह है कि अगले वेतन संरचना में DA नाम नहीं रहेगा, लेकिन उसकी राशि अभी भी आपके वेतन में होगी। HRA भी अलग रहेगा — ये कोई भी भत्ता बंद नहीं होगा।

फिटमेंट फैक्टर क्या होगा? वेतन में कितनी बढ़ोतरी?

8वें वेतन आयोग की सबसे बड़ी बात ये है कि वह एक नया फिटमेंट फैक्टर सिफारिश करेगा — ये एक गुणक है जिससे बेसिक सैलरी को गुणा करके नया वेतन निकाला जाता है। 7वें आयोग का ये फैक्टर 2.57 था। अब अनुमान है कि ये 1.83 से 2.46 के बीच होगा। इसका मतलब? एक न्यूनतम वेतन वाले कर्मचारी का बेसिक 18,000 रुपये से बढ़कर 32,400 रुपये (1.8 फैक्टर) से लेकर 44,280 रुपये (2.46 फैक्टर) तक पहुंच सकता है।

कुछ विश्लेषक, जैसे एम्बिट कैपिटल, का मानना है कि वास्तविक वेतन वृद्धि 14% से लेकर 54% तक हो सकती है — लेकिन 54% बहुत असंभव है। वित्तीय दबाव के कारण अधिकांश विशेषज्ञ 30-34% के आसपास अनुमान लगा रहे हैं। ये बढ़ोतरी केवल बेसिक तक ही नहीं होगी — ये पेंशन, अतिरिक्त भत्ते और बचत योजनाओं को भी प्रभावित करेगी।

पेंशनधारियों के लिए क्या होगा?

पेंशनधारियों के लिए क्या होगा?

यहां एक बात जो बहुत कम लोग जानते हैं — पेंशनधारी भी इसके दायरे में आते हैं। अभी न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये है। 58% DA के साथ, ये 14,220 रुपये हो जाता है। जब 8वां आयोग लागू होगा, तो न्यूनतम पेंशन 16,200 रुपये (1.8 फैक्टर) से लेकर 25,740 रुपये (2.86 फैक्टर) तक बढ़ सकती है। ये बदलाव एक बूढ़े आदमी के लिए दवाओं और डॉक्टर के खर्च के बीच फर्क बना सकता है।

अरेयर्स कब मिलेंगे? क्या जनवरी 2026 से शुरू होगा?

ये एक बड़ा राहत की खबर है। जब भी आयोग की सिफारिशें लागू हों — चाहे वो जनवरी 2026 में हो या अप्रैल 2026 में — सभी कर्मचारियों को अरेयर्स 1 जनवरी 2026 से शुरू होंगे। यानी आपको अगले वर्ष के अंत तक पूरा भत्ता मिल जाएगा, भले ही नया वेतन अभी लागू न हुआ हो। ये एक ऐसा निर्णय है जिसने लाखों कर्मचारियों के दिल आराम से भर दिए।

क्या ये सब वास्तविक है? या सिर्फ एक झूठी आशा?

ये आशा झूठी नहीं है। इतिहास दिखाता है कि हर 10 साल बाद वेतन आयोग लागू होता है — 1986, 1996, 2006, 2016... अब 2026 का समय आ गया है। अर्थव्यवस्था धीमी है, लेकिन सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारी उसकी प्राथमिकता हैं। अगर आयोग की सिफारिशें अब तक नहीं मिलीं, तो ये उसकी बुद्धिमत्ता का प्रमाण है — वे जानते हैं कि एक बार भी अगर ये भत्ते काटे गए, तो देश का सामाजिक स्थिरता का आधार डगमगा जाएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

8वें वेतन आयोग के बाद DA बंद हो जाएगा क्या?

नहीं, DA बंद नहीं होगा। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि DA को बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा, जिससे यह भत्ता अलग नाम से गायब हो जाएगा, लेकिन उसकी राशि आपके वेतन में शामिल रहेगी। यह एक तकनीकी संशोधन है, न कि कटौती।

पेंशनधारियों को क्या लाभ होगा?

पेंशनधारी भी इस आयोग के दायरे में आते हैं। न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 16,200 रुपये तक पहुंच सकती है, और अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो तो ये 25,740 रुपये तक जा सकती है। देनेयाद भत्ता (DR) भी उसी तरह बढ़ेगा, जिससे बुजुर्गों के लिए जीवनयापन का दबाव कम होगा।

अरेयर्स कब और कैसे मिलेंगे?

सभी कर्मचारियों को अरेयर्स 1 जनवरी 2026 से शुरू होंगे, चाहे आयोग की सिफारिशें कब भी लागू हों। यह एक सामान्य नियम है — जब भी नया वेतन लागू होता है, तो पिछले छह महीने का अंतर बैकडेटेड हो जाता है। यह राशि एक ही बार में बैंक में जमा होगी।

HRA क्या होगा? क्या यह भी बदलेगा?

HRA पूरी तरह से अलग है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। यह आवास खर्च के आधार पर दिया जाता है — शहर के अनुसार 27%, 18% या 9%। यह भत्ता आयोग के बाद भी वैसा ही रहेगा। केवल बेसिक सैलरी और DA में बदलाव होगा।

क्या वेतन में 54% की बढ़ोतरी संभव है?

हां, सिद्धांत रूप से संभव है, लेकिन अत्यधिक संभावना नहीं। अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो तो ऐसा हो सकता है, लेकिन वित्तीय दबाव और राजकोषीय स्थिरता के कारण 30-34% ही अधिक वास्तविक है। अधिकांश विश्लेषक इसी सीमा को संभावित मानते हैं।

क्या यह आयोग निजी क्षेत्र को प्रभावित करेगा?

सीधे तौर पर नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हां। निजी कंपनियां अक्सर सरकारी वेतन संरचना को अपने वेतन निर्धारण का मापदंड बनाती हैं। जब सरकारी वेतन बढ़ता है, तो निजी क्षेत्र में भी वेतन वृद्धि की मांग बढ़ जाती है — खासकर टेक और बैंकिंग सेक्टर में।